Posts

Showing posts from October, 2016

Divya Kavach

Image
नम्चंडिकाय नमः  अथ दुर्गा सप्तशती भाषा  अथ देव्या कवचं  महर्षि मार्कण्डीजी बोले- हे पितामह! संसार में जो गुप्त हो और जो मनुषयो की सब प्रकार से रक्षा करता हो और जो आपने किसी को आज तक बताया न हो, वह कवच मुझे बताये । श्री ब्रह्मा जी कहने लगे- अत्यंत गुप्त व सब प्राणियों की भलाई  करने वाला कवच मुझे सुनो, प्रथम शैलपुत्री, दूसरी ब्रह्मचारिणी, तीसरी घंटे, चौथी कूष्माण्डा , पांचवी स्कंदमाता , छठी कात्ययानी , सातवीं  कालरात्रि , आठवीं महागौरी नवीं सिद्धि दाती यह देवी की नो मूर्तियां और यह 'नवदुर्गा' कहलाती हैं । आग में जलता हुआ, रण में शत्रु से घिरा हुआ, विषम संकट में फँसा हुआ मनुष्य यदि दुर्गा के नाम का स्मरण करे तो उसको कभी भी हानि नहीं होती । रण में उसके लिए कुछ भी आपत्ति नहीं और न उसे किसी प्रकार का दुःख या डर ही होता है। हे देवी!जिसने श्रद्धा पूर्वक तुमारा स्मरण किया है उसकी वृद्धि होती है और जो तुम्हारा चिंतन करते है उनकी तुम निःसंदेह रक्षा करने वाली हो, चामुंडा प्रेत पर, वाराही भैसे पर रौद्री हाथी पर, वैष्णवी गरुड़ पर अपना आसन जमाती है माहेश्वरी बेल पर, कौमारी मोर पर, और हाथ में क