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Showing posts from July, 2018

Bhagawat Geeta Chapter-11 in Hindi | Krishan Ji Ka Virat Rup

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भागवत गीता अध्याय ग्यारवह अर्जुन ने कहा हे भगवान ! मुझ पर कृपा करके अत्यंत गुप्त अध्यात्म विषयक वचन जो आपने कहे उनसे मेरा मोह दूर हो गया| हे कमल नेत्र ! मैंने जीवों की उत्पति और नाश का कारण और आपका अक्षय महात्म्य आपके मुखारविंद से विस्तार पूर्वक सुना| हे पुरुषोत्तम हे परमेश्वर ! आपने जैसा की मेरी इच्छा है| हे योगेश्वर! हे मधुसूदन आप यदि मुझे उसके देखने योग्य समझे तो आप अपना वह अव्यय रूप मुझे दिखाइय श्री भगवान ने कहा हे पार्थ ! नाना प्रकार के नाना वर्णों के और नाना आकारों के मेरे शत-शत सहस्त्र -सहस्त्र दिव्य रूपों को देख हे भारत ! तुम वसु, रूद्र, अशिवनीकुमार, मरुदगण और पहले कभी न देखे थे ऐसे आश्चर्य देखो | हे गुणकेश! चराचर सहित यह जगत देखो तथा और जो कुछ देखना चाहो आप यहां मेरी देह में देख लो परन्तु इन नेत्रों से मुझे नहीं देख सकोगे, इसलिए मैं तुमको दिव्य नेत्र देता हूँ उनसे मेरा दिव्यरूप देखो | सञ्जय ने धृतराष्ट से कहा हे राजन ! इस प्रकार की कृष्ण चंद्रजी ने अर्जुन से कहा और उसको दिव्य दृष्टि देकर अपना अलौकिक रूप दिखलाया| उस विश्वरुप के अनेक मुख नेत्र थे उसमे अनेक सुन्दर -२ आभूषण तथा दि

Ketu Remedies

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केतु ग्रह - प्रभाव और उपाय केतु का पहले भाव:- केतु का पहले भाव में फल यदि केतु इस घर में शुभ है, तो जातक श्रमसाध्य, अमीर और खुशहाल होगा। लेकिन अपनी संतान की वजह से हमेशा चिंतित और परेशान होगा। वह लगातार स्थानान्तरण या यात्रा डरा रहेगा लेकिन अंत में यह हमेशा ये स्थगित हो जाया करेंगे। जब वर्ष कुंडली में केतू पहले घर में आता है तो जातक के घर पुत्र या या भतीजे का जन्म हो सकता है। लम्बी यात्रा भी हो सकती है। सूर्य की उच्चता के कारण ऐसा जातक हमेशा अपने माता पिता और गुरुजनों के लिए फायदेमंद होगा। यदि पहले घर में केतु अशुभ हो तो जातक सिर दर्द से पीड़ित होगा। उसकी पत्नी स्वास्थ्य समस्याओं और बच्चों से संबंधित चिंताओं से ग्रस्त होगी। यदि दूसरा और सातवां घर खाली हो तो बुध और शुक्र भी बुरे परिणाम देते हैम। बिना फायदे के स्थानांतरण और यात्राएं होंगी। यदि शनि नीच का हो तो यह पिता और गुरु को नष्ट करेगा। यदि सूर्य सातवें या आठवेम स्थान में हो तो पोते के जन्म के बाद स्वास्थ्य खराब रहेगा। सुबह और शाम के समय भीख नहीं देनी चाहिए। उपाय: (1) बंदरों को गुड़ खिलायें। (2) केसर का तिलक लगाएं। (3) यदि संतान से प

Bhagwat Geeta Chapter-10

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भागवत गीता दसवां अध्याय  श्री कृष्ण भगवान ने कहा हे महाबाहो ! और भी मेरे कल्याण करक वचन सुनो, तुम पर मेरी अत्यंत प्रीति है अतएव तुम्हारे कल्याण के लिए कहता हूँ| मेरी उत्पति का हाल न तो देवगण जानते है और न महर्षि  लोग, मैं ही देवों और महाऋषियों का अदि कारण हूँ | मुझे अजन्मा अनादि और सब लोको का ईश्वर जानते है वे मोह रहित हो सब पापों से छूट जाते है| बुद्धि, ज्ञान असमोह, क्षमा, सत्य, दम, शम, दुःख, सुख, जन्म, मरण, भय और अभय अहिंसा, समता, संताप, तप, दान, यश, अपयश इत्यादि जो अनेक प्रकार के भाव है वे सब मुझे होते है| सात महर्षि और उनसे पहले चार मनुष्य मेरे मन से उत्पन्न हुए जगत के समस्त प्राणी उनसे उत्पन्न हुए| जो मनुष्य मेरी इस विभूति को भली भाति जानते है वे निश्चय योग से सिद्ध होते है इसमें संदेह नहीं यह जानकर कि मैं ही सबका उत्पति कारण हूँ और मुझ ही से सब की प्रवृति होती है विवेकी पुरुष मेरी उपासना करते है| वे मुझी में अपने चित और प्राणों को लगाकर एक दूसरे को समझते हुए भजन करते सदा सन्तुष्ठ  और सुखी रहते है| चित का समाधान करके प्रीतिपूर्वक भजन करने वालों को मैं ऐसा बुद्धि योग देता हूँ जिससे

Rahu remedies by Lal Kitab

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राहु  के उपाय लाल किताब  ज्‍योतिषशास्‍त्र के अनुसार राहु को पाप ग्रह माना गया है। राहु के अशुभ स्‍थान में होने पर यह जातक को अत्‍यंत परेशान करता है। लाल किताब के अनुसार राहु यदि कुंडली में अशुभ स्‍थान में विराजमान है तो वह जातक को संतान प्राप्‍ति और धन प्राप्‍ति में अड़चनें उत्‍पन्‍न करता है। इसके प्रभाव में धन हानि के योग भी बनते हैं, यहाँ राहु से सम्बंधित हर चीज का उल्लेख किया जा रहा है | राहू वह धमकी है जिससे आपको डर लगता है | जेल में बंद कैदी भी राहू है | राहू सफाई कर्मचारी है | स्टील के बर्तन राहू के अधिकार में आते हैं | हाथी दान्त की बनी सभी वस्तुए राहू के रूप हैं | राहू वह मित्र है जो पीठ पीछे आपकी निंदा करता है|  दत्तक पुत्र भी राहू की देन होता है | नशे की वस्तुएं राहू हैं | दर्द का टीका राहू है |  राहू मन का वह क्रोध है जो कई साल के बाद भी शांत  नहीं हुआ है, न लिया हुआ बदला भी राहू है | शेयर मार्केट की गिरावट राहू है, उछाल केतु है | बहुत समय से ताला लगा हुआ मकान राहू है | बदनाम वकील भी राहू है | मिलावटी शराब राहू है | राहू वह धन है जिस पर आपका कोई हक़ नहीं है या जिसे अभी तक लौट

Bhagwat Geeta Chapter-9 - Geeta Path in Hindi

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भागवत गीता नवां अध्याय  श्री कृष्णजी बोले हे अर्जुन ! तुम में ईर्षा नहीं है, इसलिए यह अतिगुप्त शास्त्रीय ज्ञानऔर अनुभव तुमसे कहता हूँ इसे जानकर तुम्हारा अशुभ न होगा| यह ज्ञान सब विद्याओं में श्रेष्ठ तथा सब गोपनीयों में गुप्त, एवं परम पवित्र, उतर प्रत्यक्ष फल वाला और धर्म युक्त है, साधन करने में बड़ा सुगम और नष्ठ नहीं होता| हे परंतप इस धर्म पर जो श्रद्धा नहीं रखते वे मुझे नहीं  और इस मृत्यु युक्त संसार में बार-बार लौटते हैं| मैं अव्यक्त हूँ और मैनें ही यह सब जगत प्रगट किए है सब प्राणी मुझमे सिथत है किन्तु मैं उनमे नहीं हूँ| मुझमे सब भूत भी नहीं हैं, मेरा वह ईश्वरीय कर्म देखो मेरी ही आत्मा सब भूतों का पालन करती हुई भी नियत नहीं है| जिस  सर्वत्र बहने वाली महान वायु समस्त आकाश में व्याप्त है इसी प्रकार समस्त भूत मुझमे है ऐसा समझो| हे कौन्तेय ! सभी जिव कल्प के प्रारम्भ में मैं उनको फिर उत्पन्न करता हूँ| अपनी प्रकृति का आश्रय लेकर उसके गुण व स्वभाव वाले स्वभाव वाले समस्त भूत वर्ग को मैं बारम्बार उत्पन्न करता हूँ| हे धनज्जय ! मेरे ये कर्म मुझे नहीं बांधते क्योँकि मैं उदासीन की तरह इनमे आसक्त न

Guruji Birthday Videos

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Guruji Birthday on 7th July  Rarest Videos of Guruji