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Showing posts from April, 2018

How to read birth chart (lal kitab)

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How to read Birth Chart आपका वैदिक जन्म चार्ट एक अद्वितीय कर्मिक नक्शा है जो जीवन के ज्ञान को साझा करता है- भूतकाल, वर्तमान और भविष्य। आपके चार्ट में यह समझने की कुंजी है कि आप मानसिक, भावनात्मक, शारीरिक और आध्यात्मिक शरीर के स्तर पर कौन हैं। आपका चार्ट आपके उपचार और परिवर्तन प्रक्रिया के बारे में अंतरंग रहस्य भी साझा करता है। ज्योतिष ज्योतिष का वैदिक विज्ञान है। पूरी तरह से अन्वेषण और समझने में घंटों, वर्षों और यहां तक ​​कि जीवन के समय भी लगते हैं। यहां मैं अपने स्वयं के वैदिक जन्म चार्ट की परतों को छीलने के लिए कुछ बहुत ही बुनियादी कदम बताता हूं। अपने वैदिक जन्म चार्ट को कैसे पढ़ा जाए अपने बढ़ते संकेत की पहचान करें। दाईं ओर उत्तर भारतीय स्टाइल आरेख का उपयोग करके, ध्यान दें कि पहला घर आपके चार्ट में है। यह वह जगह भी है जहां आपका बढ़ता संकेत स्थित है। पहले घर में छोटी संख्या आपके बढ़ते संकेत को इंगित करती है। आपका बढ़ता संकेत क्या है? मेष एक नंबर 1 है। वृषभ संख्या 2 है। मिथुन एक नंबर 3 है। कैंसर एक संख्या 4 है। लियो एक संख्या 5 है। कन्या एक संख्या 6 है। तुला 7 नंबर है। वृश्चिक संख्या 8

Lal Kitab Upay -Remedies

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लाल किताब के सरल उपाय  लाल किताब के उपाय कृपया दिन में ही करे एक उपाय पूरा हो जाने के बाद ही दूसरा उपाय करे|  उपाय कम से कम 43 दिन लगातार करे .उपाय करने में सावधानी जरुर बरते ..बिना उचित सलाह के कोई उपाय आप को और मुस्किल में डाल सकता है|  वर्तमान समय में ज्योतिष के अन्दर आज सबसे ज्यादा चर्चित नाम लाल किताब का है। सामान्यतः इसे सरल व साधारण उपायों के लिए जाना जाता है।परंतु यह सत्य नहीं है, जब किस्मत ख़राब होती है तब इन्शान को 1 छोटा सा उपाय भी पहाड़ जैसा दीखता है|  प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में कष्टों के निवारण के उपायों को भली प्रकार समझाया गया है, जिसमें लग्नेश तथा लग्न के लिए शुभ ग्रहों का रत्न धारण करना, अनिष्टकारी ग्रहों की शांति के लिए उनका पूजन, मंत्र जप, हवन और ग्रह संबंधित वस्तुओं के दान का उल्लेख होता है। जीवन के कष्टों को दो भागों में बांटा गया है। एक वे जिनको उपायों द्वारा शांत किया जा सकता है, और दूसरे वे जिनका भोग कर ही निवारण होता है। यह कुंडली के अध्ययन से ज्ञात होता है। कुछ आम उपाय है जिसे कोई भी कर सकता है जैसे :- 1. सांसारिक सुखों के लिए गाय, कृत्ते एवं कौवे को अपने भोज

Bhagwat Geeta Chapter-4

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भागवत गीता चौथा अध्याय  श्री कृष्ण भगवान बोले इस अविनाशी कर्मयोग को मैंने सूर्य से कहा, सूर्य ने मनु से कहा और मनु ने राजा इक्ष्वाकु से कहा| हे अर्जुन! इस तरह परम्परा से प्राप्त यह योग सब राजश्रियों ने जाना, परन्तु अधिक समय व्यतीत होने से यह लुप्त हो गया| वही प्राचीन योग आज तुमको मैंने बताया है क्योँकि तुम मेरे भक्त और मित्र हो, यह योग्य रहस्य अति उत्तम है| अर्जुन कहने लगे आपका जन्म तो अभी हुआ है और सूर्य का जन्म बहुत दिन पहले हुआ था, मैं किस प्रकार मानूं कि आपने सूर्य को यह योग्य बताया था| श्री कृष्ण भगवान बोले हे अर्जुन! मेरे और तुम्हारे अनके जन्म हो चुके है, मुझे वह याद है तुम भूल गए हो| मैं जन्म से रहित अविनाशी सम्पूर्ण प्राणियोँ का स्वामी अपनी प्रकृति में सिथत हूँ तथापि अपनी माया से जन्मता हूँ| हे भारत ! जब-२ धर्म की हानि होती है और अधर्म का प्रावलय हो जाता है तब तब ही मैं जन्म लेता हूँ| साधुओं की रक्षा पापियों का विनाश और धर्म की स्थापना करने के लिए प्रत्येक युग में जन्मता हूँ| जो मेरे इस अलौकिक जन्म और कर्म का तत्व जनता है वह मृत्यु होने पर फिर जन्म नहीं लेता और मुझमे लीन हो जात

Bhagwat Geeta Chapter-3

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भगवत गीता तीसरा अध्याय  अर्जुन ने पूछा हे जनादर्न ! यदि आपके मत से कर्म से बुद्धी श्रेष्ट है तो हे केशव! मुझे घोर कर्म में क्यों लगते हो| मिले हुए वचनों से आप मेरी बुद्धि को भ्रम में डाल रहे है निश्चय करके मुझे बताइए जिससे मैं कल्याण को प्राप्त होऊं| श्री कृष्ण जी बोले हे निष्पाप अर्जुन! मैं पहिले समझ चुका हूँ कि इस लोक में दो प्रकार की निष्ठा कही है एक तो सखंया वालों का ज्ञान योग और दूसरा योगियो का कर्म योग कर्मों को प्रारम्भ न करने से ही कोई निष्कर्म नहीं कहलाता और कर्मों का त्याग करके सन्यास ग्रहण करने से ही किसी को सिद्धि नहीं मिल जाती मनुष्य क्षण भर में कर्म किए बिना नहीं रह सकता प्रकृति के गन ही सब मनुष्यों को कुछ कुछ कर्म करने में लगते रहते है| जो अज्ञानी कर्मइन्द्रिओ को रोककर आत्मा चिंतन करने के बहाने विषयो की चिंता करता है, वह पाखंडी मिथ्या चारी कहाता है| हे अर्जुन! जो इन्द्रयों को मन से दमन कर और विषयोँ में प्रवृति न होने देकर उनसे कार्य लेता है वह करयोग का अभ्यास करता है और श्रेष्ठ कहाता है| अपने धर्म के अनुसार नियमित कर्म करो क्योँकि कर्म के न करने से कर्म को करना अच्छा है|

Guruji ki Kripa

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गुरूजी की कृपा  एक भक्त देश में सबसे शक्तिशाली लोगों में से कुछ के लिए दिल्ली के पूर्व शिक्षक गुरूजी निर्मल द्वारा उठाए गए असाधारण प्रेम, स्वीकृति और संरक्षण पर वापस दिखता है|  गुरुजी निर्मल ने निम्नलिखित में शामिल किया था जिसमें शरद पवार, अमर सिंह, मुरली मनोहर जोशी, कई अन्य राजनेताओं, और दिल्ली के सदस्य शामिल थे, कौन कौन है। फिर भी, वह राजधानी में आध्यात्मिक प्राचार्यों के सबसे निजी और थोड़ा-बहुत ज्ञात लोगों में से एक रहा। उनके पास कोई आश्रम नहीं था, जिसने केवल एक छोटे शिव मंदिर का निर्माण किया था जहां भक्त अपने जन्मदिन, वैसाखी और शिवरात्रि के लिए एकत्र हुए थे। दूसरी बार, हम मेहरौली में भक्तों के घर में मिले थे|  अच्छी तरह से निर्मित और मजबूत, मजबूत सुविधाओं और मुंडा सिर के साथ, वह एक खूबसूरत आदमी था, महान व्यक्तिगत आकर्षण के साथ वह उल्लेखनीय रूप से समावेशी और खुले थे उन्होंने भक्तों को अपने चारों ओर क्लस्टर करने की अनुमति दी, अपने पैरों और घुटनों को छुआ, या उसके सिर पर चुंबन भी छोड़ दिया, क्योंकि एक अमेरिकन को ऐसा करना पसंद था। इस साल मई के अंत में उनकी मृत्यु ने हम में से कई अनाथ बन

Guruji Bade Mandir Address and Timing

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Guruji Bade Mandir Address,Timing and Direction of Mandir  Guruji Bade Mandir Address and Timing  P.O. Sawan Public School,  Bhati Mines,  Mehrauli,  New Delhi 110074. Days & Timings Monday: 8 am to 7:30 pm Mandir is open for satsang. Langar is not served.  Thursday, Friday, Saturday, Sunday: 6 pm to 10 pm Chai prasad and langar is served. Driving Directions (from Qutub Minar metro station) Travelling on Anuvrat Marg (towards Mehrauli/Gurgaon) pass the Qutub Minar Metro Station Take left on 100 foot road after the station Take left onto Main Chhatarpur Rd from traffic signal (about 1 km) Travel straight on the Main Chhatarpur Rd for about 9 kms upto Sawan Public School  You will be crossing Tivoli Banquet halls, IIPM, Asola, Fatehpur Beri, Dera More (Petrol Pump) and finally Radha Swami Satsang Beas (Gate no. 1 to 10) before reaching Sawan Public School (on the left side) About 200m after Sawan Public School, the road curves first towards left and then towards right, immediately fo