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Showing posts from December, 2016

Shitala mata ki aarti

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शीतला माता जी की आरती  जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता, आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता ।  जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता ||  रत्न सिंघ्हासन शोभित, श्वेत छात्र भाता, रिद्धि सिद्धि मिल चवर डोलेवे, जगमग छवि छठा ।  विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवा शिव धता, वेद पुराण वर्णत, पार  नहीं पता   जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता ||  इंद्रा मृदंग बजावत चंद्र वीणा हाथ, सूरज ताल बजावे नारद मुनि गाता  जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता  || घंटा शंख शहनाई बजे मन बता, करे भक्त गन आरती लखि लखि हर्षाता  जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता  || ब्रह्मा रूप वरदानी तुहि तीन काल ज्ञात, भक्तन को सुख देती मातु पिता भरत  जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता  || जो जान ध्यान लगावे प्रेम शक्ति पता, सकल मरोरथ पावे भवनिधि तार जाता  जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता  || रोगों से पीड़ित कोई शरण तेरी आता, कोढ़ी पावे निर्मल काया अँधा नेत्र पता  जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता  || बाँझ पुत्र को पावे दरिद्र काट जाता, ताको भजे जो नहीं सर धुनि पछताता  जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता  || शीतल करती जानकी तू ही है जग त्राता, उत्पति ब

Brahma ji ki Aarti

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श्री ब्रह्मा जी की आरती  पितु मातु सहायक स्वामी सखा, तुम ही एक नाथ हमारे हो ।  जिनके कुछ और आधार नहीं, तिनके तुम ही रखवारे हो ।  सब भांति सदा सुखदायक हो, दुःख निर्गुण नाशन हारे हो ।  प्रतिपाल करो सिधारे जग को, अतिशय करुणा उर धारे हो ।  भूल है हम तो तुमको, तुम तो हमारी सुधि नाही बिसारे हो ।   उपकरण को कछु अंत नहीं, छीन ही छीन जो विस्तार हो ।  महाराज माह महिमा तुम्हारी, मुझे बिरले बुधवार हो ।  शुभ शांति निकेतन प्रेमनिधि, मन मंदिर के उजियारे हो  इस जीवन के तुम जीवन हो, इन् प्रानन के तुम प्यारे हो ।  तुम सो प्रभु पाए, ' प्रताप हरी', केहि के अब और सहारे हो ।  श्री ब्रह्मा जी की आरती समाप्तम 

Shri Sai Baba ke 11 vachan

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श्री साई बाबा की 11 वचन  जो शिरडी में आएगा, आपदा दूर भगाएगा ।  चढे समाधी की सीढ़ी पर, पैरो तले दुःख की पीढ़ी पर ।  त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौड़ा आऊंगा ।  मन में रखना दृण विश्वास, करे समाधी पूरी आस ।  मुझे सदा जीवित ही जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो।  मेरी शरण आ खली जाए, हो कोई तो मुझे बताये ।  जैसा भाव रहा जिस जान का, वैसा रूप हुआ मेरे मान का ।  आओ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वह नहीं है दूर ।  भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा ।  मुझ में लीं वचन मनन काया, उस का ऋण न कभी चुकाया ।  धान्य धान्य वो भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्ये ।  अनंतकोटी भ्रमांडनायक राजाधीराज योगिराज परमानंद श्री सच्चिदानंद सद्गुरु साई नाथ महाराज की जय ॥ 

Shri Sai ji ki Aarti

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श्री साई जी की आरती  आरती श्री साई गुरुवार की परमानन्द सदा सुरवर की ॥  जाकी कृपा विपुल सुखारी दुःख, शोक, संकट, भयहारी ॥  शिरडी में अवतार रचय चमकार से तत्त्व दिखाया ॥  कितने भक्त शरण में आये वे सुख- शांति निरंतर पये॥  भाव धरे जो मनन में जैसा साई अनुभव हो वैसा॥  गुरु की उदी लगाव तन तो समाधान लाभत उस मनको ॥  साई नाम सदा जो गए उस पर कृपा करत गुरुदेव ॥  राम, कृष्णा, हनुमान रूप  में दे दर्शन जानत जो मन में ॥  विविध धर्म के सेवक आते दर्शन कर इच्छित फल पते ॥  जय बोलो साई बाबा की जय बोलो अवधूतगुरु की ॥  साई की आरती जो कोई गावे घर में बसी सुख, मंगल पावे ॥  अंनन्तकोट, भ्रह्माण्डनायक राजाधिराज, योगिराज ॥  जय जय जय साई बाबा की आरती श्री साई गुरुवार की ॥  श्री साई जी की आरती समाप्तम 

Shri Vishnu ji ki Aarti

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श्री विष्णु जी की आरती  ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे, भक्त जनों के संकट, शन में दूर करे।  ॐ जय जगदीश  हरे जो धयावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का. सुख सम्पति घर एव, कष्ट मिटे का।   ॐ जय जगदीश श्री हरे   मात पिता तुम मेरे शरण गहुँ में किसकी, तुम बिन और न दूजा अस करूँ में जिसकी ।   ॐ जय जगदीश श्री हरे  तुम पुराण परमात्मा, तुम अंतर्यामी, परब्रह्म परमेश्वर तुम सब के स्वामी ।   ॐ जय जगदीश श्री हरे   तुम करुणा का सागर, तुम पालन करता, मैं मूर्ख खाल कामी, कृपा करो भर्ता।    ॐ जय जगदीश श्री हरे   तुम हो एक अगोचर, सब के प्राणपति, किस विध मिलूं दयामय, तुम मैं कुमति ।    ॐ जय जगदीश श्री हरे दिन बंधू दुःख हारता, तुम रक्षक मेरे, अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा मैं तेरे।     ॐ जय जगदीश श्री हरे  विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा, श्रद्धा भक्ति बढाओ, संतान की सेवा।    ॐ जय जगदीश श्री हरे  श्री विष्णु जी की आरती समाप्तम