Amavasya- अमावस्या 2019
Amavasya अमावस्या-2019
अमावस्या एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन, चंद्रमा आकाश में दिखाई नहीं देता है, यही कारण है कि इसे चंद्रमा दिवस या नया चंद्रमा दिवस भी कहा जाता है। इसे अमावसी भी कहा जाता है, यह हर महीने होता है, इसलिए साल में 12 अमावस्या दिन होते हैं। यह दिन है जो शुक्ल पक्ष की शुरुआत या चंद्र महीने में उज्ज्वल पखवाड़े की शुरुआत करता है।
हिंदू संस्कृति और हिंदू धर्म में, अमावस्या को बहुत महत्त्व दिया जाता है। भारत भर में हिंदू भक्तों द्वारा इस दिन कई महत्वपूर्ण अनुष्ठानों और परंपराओं को देखा जाता है। यह महीने का सबसे अंधेरा दिन है और पुरानी मान्यताओं के अनुसार, इसे वर्ष के सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली समय में से एक माना जाता है।
अमावस्या - क्या यह शुभ है?
अधिकांश संस्कृतियों में, अमावस्या को अशुभ माना जाता है और इस समय प्रचलित ऊर्जाएं हमारे शारीरिक और मानसिक कल्याण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं। महीने का यह समय ज्यादातर प्रार्थनाओं से जुड़ा हुआ है, पुजा की पेशकश करता है और हमारे पूर्वजों को याद किया जाता है। किसी भी शुभ काम की शुरुआत के समय, आमतौर पर इस समय से बचना चाहिए। कई भक्त भी सफलता और खुशी के लिए अमावस्या व्रत का पालन करते हैं और अपने पूर्वजों से आशीर्वाद मांगते हैं।
अमावस्या का महत्व
महीने की सबसे अंधेरी रात अमावस्या का हिंदू धर्म में बहुत ही आध्यात्मिक महत्व है। हिंदू शास्त्र 'गरुड़ पुराण' के अनुसार, भगवान विष्णु ने घोषणा की थी कि अमावस्या के दिन किसी के पूर्वजों को धरती पर आना चाहिए। इस दिन उन्हें भोजन और प्रार्थनाएं देना महत्वपूर्ण है अन्यथा वे नाराज हो सकते हैं। अमावस्या एक दिन है जो आपके पूर्वजों के प्रति आपका सम्मान दिखाता है और उनका आशीर्वाद प्रदान करता है। इसके अलावा, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करना आपकी सभी इच्छाओं को पूरा कर सकता है,
अमावस्या को एक अशुभ रात माना जाता है क्योंकि इस समय के दौरान बुरी शक्तियां सबसे मजबूत होती हैं। लोग इस रात काले जादू और 'तांत्रिक' गतिविधियों में शामिल होने की अधिक संभावना रखते हैं। अमावस्या पर किए जाने पर ऐसी गतिविधियों के प्रभाव बहुत मजबूत और शक्तिशाली हो सकते हैं। यही कारण है कि, इस समय के दौरान कोई सकारात्मक या शुभ काम नहीं किया जाता है। कुछ लोग नकारात्मक प्रभावों के कारण अमावस्या के समय यात्रा से बचने की भी सलाह देते हैं।
अमावस्या का एक अन्य महत्व त्योहारों या अवसरों से जुड़ा हुआ है जो इसके साथ जुड़े हुए हैं। दिवाली के सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार में से एक है। दीपावली, साल की सबसे अंधेरी रात है जब नकारात्मक शक्तियां उनके सबसे मजबूत हैं। यही कारण है कि, यह त्योहार पूरे भारत में दीया, रोशनी और जीवंत उत्सव के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार के दौरान मौजूद दुष्ट आत्माओं को दूर करने के लिए पूरे देश को रोशनी के साथ जगमगाया जाता है।
महत्वपूर्ण अमावस्या तिथियां
कुछ अमावस्या तिथियां हैं जिन्हें अत्यधिक शुभ और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।
मौनी अमावस्या:-
यह अमावस्या जनवरी से फरवरी के बीच माघ के हिंदू महीने में पड़ता है और इसे आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।महालय अमावस्या
महलया अमावस्या माह के अंतिम दिन मनाया जाता है। आलय पक्ष एक आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण दिन है। इसे दान करने और अपने मानवीय कार्य को शुरू करने या जारी रखने के लिए शुभ दिन माना जाता है। यह आमतौर पर सितंबर-अक्टूबर के महीने में पड़ता है। इसे पितृ पक्ष के रूप में भी जाना जाता है और यह हमारे पूर्वजों को प्रसाद देने का सबसे उपयुक्त दिन है।हिंदू परंपरा में, सोमवती अमावस्या को गहरा महत्व दिया जाता है। यह एक अमावस्या है जो सोमवार को पड़ती है। यह एक धारणा है कि यदि कोई इस अमावस्या पर उपवास रखता है, तो उनकी सभी इच्छाओं को पूरा किया जाता है। महिलाओं को विशेष रूप से अपने पति के लंबे जीवन के लिए सोमवती अमावस्या व्रत करना चाहिए।
अमावस्या व्रत का महत्व
अमावस्या के दिन उपवास की अपनी प्रासंगिकता है। कहा जाता है कि जो इस उपवास को करते हैं, उन्हें बहुत से लाभ प्रदान होते हैं । साल में कुछ विशिष्ट अमावस्या तिथियां हैं जिन पर अमावस्या व्रत मनाया जाना चाहिए।
- अमावस्या पर उपवास करने से आपको अपने पिछले पापों से छुटकारा पाने में मदद मिलती हैं।
- अमावस्या व्रत करने से सफलता, समृद्धि, स्वास्थ्य, धन और प्रेम काआशीर्वाद मिलता है।
हिंदु धर्म में अमावस्या का महत्व और हिंदु धर्म में महत्वपूर्ण अमावस्या कब है?
धर्मग्रंथो में पितृदेव को अमावस्या का स्वामी माना जाता है.इसीलिए अमावस्या के दिन पितरों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म या पूजापाठ करना अनुकूल माना जाता है|
हिंदु धर्म के कुछ महत्वपूर्ण त्यौहार अमावस्या के दिन ही आते है.जैसे अश्विन अमावस्या के दिन दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है.भारत के राज्य महाराष्ट्र में भाद्रपद अमावस्या के दिन पोला (बैलपूजा का त्यौहार) मनाया जाता है|
इस साल 2019 में अमावस्या कब है यह जानेंगे.
2019 में अमावस्या कब है?
हर साल 12 अमावस्या और 12 पूर्णिमा होती है.इस साल की अमावस्या कुछ इस प्रकार से है-
05 जनवरी(शनिवार) – पौष अमावस्या
04 फरवरी(सोमवार) – माघ अमावस्या
अमावस्या प्रारंभ :- 12:21 AM सोमवार ( 4 फरवरी )
अमावस्या समाप्ती :- 2:24 AM मंगलवार (5 फरवरी )
06 मार्च(बुधवार) – फाल्गुन अमावस्या
अमावस्या प्रारंभ :- 7.36 PM मंगलवार ( 5 मार्च )
अमावस्या समाप्ती :- 9.36 PM बुधवार ( 6 मार्च )
05 अप्रैल(शुक्रवार) – चैत्र अमावस्या
अमावस्या प्रारंभ :- 1.29 PM गुरुवार (4 अप्रैल)
अमावस्या समाप्ती :- 2.47 PM शुक्रवार (5 अप्रैल)
04 मई(शनिवार) – वैशाख अमावस्या
अमावस्या प्रारंभ :- 4.32 AM शनिवार (4 मई )
अमावस्या समाप्ती :- 5.18 AM रविवार (5 मई)
03 जून(सोमवार) – ज्येष्ठ अमावस्या
अमावस्या प्रारंभ :- 4.20 PM रविवार (2 जून)
अमावस्या समाप्ति:- 3.52 PM सोमवार (3 जून)
02 जुलाई(मंगलवार) – आषाढ़ अमावस्या
अमावस्या प्रारंभ:- 2.52 AM मंगलवार (2 जुलाई)
अमावस्या समाप्ती:- 1.00 AM बुधवार (3 जुलाई)
01 अगस्त(बृहस्पतिवार) – श्रावण अमावस्या
अमावस्या प्रारंभ :- 11.23 AM बुधवार (31 जुलाई)
अमावस्या समाप्ती :- 9.06 AM गुरुवार (1 अगस्त)
30 अगस्त(शुक्रवार) – भाद्रपद अमावस्या
अमावस्या प्रारंभ :- 6.48 PM गुरुवार (29 अगस्त)
अमावस्या समाप्ती :- 4.19 PM शुक्रवार (30 अगस्त)
28 सितम्बर(शनिवार) – अश्विन अमावस्या
अमावस्या प्रारंभ:- 3:00 AM शनिवार (28 सितंबर)
अमावस्या समाप्ती :- 12.26 AM रविवार (29 सितंबर)
28 अक्टूबर(सोमवार) – कार्तिक अमावस्या
अमावस्या प्रारंभ:- 12.17 PM रविवार (27 अक्टूबर )
अमावस्या समाप्ति :- 10.10 AM सोमवार (28 अक्टूबर)
26 नवम्बर(मंगलवार) – मार्गशीर्ष अमावस्या
अमावस्या आरंभ:- 12.10 AM मंगलवार (26 नवंबर)
अमावस्या समाप्ती:- 9.16 PM मंगलवार (26 नवंबर)
26 दिसम्बर(बृहस्पतिवार) – पौष अमावस्या
अमावस्या प्रारंभ:-11.08 AM बुधवार (25 दिसंबर)
अमावस्या समाप्ती :- 10.18 AM गुरुवार (26 दिसंबर)
मौनी अमावस्या के दिन क्या करें
- मौनी अमावस्या के दिन स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना लाभप्रद होता है। ऐसा करने से घर में सुख शांति आती है और पूर्वजों को मोक्ष मिलता है।
- मौनी अमावस्या के दिन किसी धार्मिक स्थल की यात्रा करने, पवित्र नदी में स्नान करने या पवित्र स्थल पर जाने से मंगल ही मंगल होता है।
- मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने की मान्यता है। ऐसा करने का प्रतिफल काफी अनुकूल होता है।
- संपन्न लोगों द्वारा इस दिन गरीब व भूखे व्यक्ति को भरपेट भोजन खिलाना चाहिए। लगभग 5 कन्याओं को घर पर भोजन खिलाने और उन्हें दान करना भी अच्छा माना जाता है।
- सूर्योदय के वक्त पितरों को जल या दूध से तर्पण दें। यदि दूध में काले तिल और एक चम्मच शुद्ध देसी का घी डालेंगे तो बहुत अच्छा होगा।
सोमवती अमावस्या के दिन क्या करें
- सोमवती अमावस्या के दिन नहा धोकर व्रत धारण करें।
- इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने से सभी पाप मिटते हैं।
- अमावस्या के दिन दुर्गा माता या हनुमान चालीसा का पाठ करें। पूजा के बाद प्रसाद को सब लोगों में बांटें।
- अमावस के दिन मछलियों को आंटा खिलाने से भी बहुत लाभ मिलता है।
- इस दिन किसी ब्राह्मण की स्त्री को लाल जोड़ा दान करें। साड़ी के साथ लाल चूढ़ियां, लाल सिंदूर, लाल बिंदी और लाल शॉल या स्वैटर भेंट करना भी अच्छा माना जाता है।
सावधानियाँ
- तामसिक भोजन से दूर रहें।
- सूर्यास्त के बाद घर से बाहर न निकलें।
- गर्भवती महिलाएँ छत पर न जाएं।
- इस दिन देर तक नहीं सोना चाहिए।
- इस दिन संबंध बनाने से बचना चाहिए।
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