Karwa Chauth Vrat Katha and puja vidhi 2019

Karwa Chauth Vrat Katha and puja vidhi 2019Karwa Chauth Vrat Katha and puja vidhi 2019






करवा चौथ का व्रत इस वर्ष 17 October 2019 को आ रहा है| भारत और अन्य देशो में जहाँ पर भारतीय रहते है इस पर्व को मनाया करते है| यह व्रत अपने पति की लम्बी आयु के लिए किया जाता है| 
सम्पूर्ण भारत में करवाचौथ के नामसे जाना जानेवाला वैवाहित स्त्रियो के लिए यह पर्व उत्तर-पूर्वी भारत में प्रसिद्ध है | निर्जला एकादशीके सामान यहव्रत भी निर्जला हीकिया जाता है| इस दिन समस्तस्त्रियाँ अपने-अपने पतियोंकी लम्बी उम्रके लिए भगवानशिव और गौरीकी आराधना करतींहै| यह व्रतकार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चौथीतिथि को मनायाजाता है| भारतके कई स्थानों परइस पर्व कोकरवा के नामसे भी जानाजाता है|
श्रीकरक चतुर्थी व्रतकरवा चौथ केनाम से प्रसिद्ध है| पंजाब, उतरप्रदेश, मध्यप्रदेश औरराजस्थान का प्रमुख पर्वहै| यह कार्तिक मासकी कृष्ण पक्षकी चतुर्थी कोरखा जाता है| सौभाग्यवती स्त्रियाँ अपने पति केरक्षार्थ इस व्रत कोरखती है| गोधुलीकी वेला यानीचंद्रयोदय के एक घंटेपूर्व श्री गणपतिएवं अम्बिका गौरी, श्रीनन्दीश्र्वर, श्री कार्तिकेयजी, श्रीशिवजी देवी माँपार्वतीजी के प्रतिमा, प्रधानदेवी श्री अम्बिका पार्वतीजी औरचन्द्रमा का पूजन कियाजाता है| यहव्रत निर्जला कियाजाना चाहिए परन्तुदूध, दही, मेवा, खोवाका सेवन करकेभी यह व्रतरखा जा सकताहै| तात्पर्य यहहै कि श्रद्धा भाव  विधि एवं विश्वास केसाथ | आपनी मर्यादा केअनुकूल व्रत एवंपूजन करना चाहिए| विशेष बात यहीहै कि अन्नग्रहण नहीं करनाचाहिए| महिलाओं कोपूजन के समयउपयुक्त लगने वाले वस्त्रो कोपहन कर स्नान आदि से निर्वित होकर आभूषण पहनकर पूर्ण श्रृंगार करकेपूजन के लिए तैयार होती है| नैवेध के लिएचावल की खीर, पुआ, दहिवड़ा, चावलया चने कीदाल का फरा, चनेकी दाल कीपूरी या अन्यतरह की पूरीऔर गुड़ काहलवा बनाना चाहिए| देवताओं की प्रतिभा अथवाचित्र का मुखपश्चिम दिशा कीओर होना चाहिए| पूजन के लिएस्वयं पूर्व दिशाकी ओर मुखकरके बैठना चाहिएक्यूंकि ज्ञान, कर्म, तेजऔर शक्ति कास्वामी सूर्य पूर्वमें उदित होताहै|

करक या करवा

Karwa Chauth Vrat Katha and puja vidhi 2019

करकका अर्थ करवाहोता है| मिट्टीके कलशनुमा पात्रके मध्य मेंलम्बी गोलाकार छेदके साथ डंडीलगी रहती है| इस तरह केपात्र ताम्बे, चांदीएवं पीतल केभी होते है| इस करक याकरवा पात्र कोश्री गणेश कास्वरुप मानते है| करक के दानसे सुखसौभाग्य, सुहाग अचललक्ष्मी एवं पुत्र कीप्राप्ति होती है| ऐसाशास्त्र सम्मत है| ऐसीभी मान्यता एवंअटूट विश्वास हैकि करक दानसे सब मनोरथों कीप्राप्ति होती है|

श्री चन्द्र अर्ग
श्रीचन्द्र देव भगवानशंकर जी केभाल पर सुशोभित हैं| इस कारण श्रीचन्द्रदेवजी की आराधना, उनकापूजन एवं अर्गदेकर संपन्न कीजाती है| वस्तुतः शंकरजी की प्रतेकउपासना एवं गौरीजी के व्रतका पूजन चंद्रदेव कोअर्ग देकर हीसम्पूर्ण होता है| अतःचन्द्र स्तुति,| पूजनऔर आराधना विशेषफलदायी होती है|
Karwa Chauth Vrat Katha and puja vidhi 2019

पूजन की तैयारी
1. श्री गणेश
सुपारी पर रक्षासूत्र यानिमौली गोलाकार मेंइस तरह लपेटेंकि सुपारी पूर्णतया ढकजाये| एक कटोरीया अन्य छोटेपात्र में थोडासा अक्षत रखें| इस अक्षत परगणेश रूप मौलीको रखें|

2. माँ अम्बिकागौरी
पीली मिट्टी कीगौर बनायें| मिट्टीगोलाकार करके उपरी सतहपर मिट्टी कात्रिकोण बनायें| मिट्टी उपलब्ध होने परएक ताम्बे केसिक्के पर रक्षासुत्र लपेटेंएवं एक छोटेसे लाल कपड़ेसे ढक दें| एक रोली कीबिंदी लगाये अथवाबनी हुई बिंदीलगाये| भाव यहरखें कि माँगौर का मुखहै| अम्बिक गौरी के स्वरुप कोश्रद्धा पूर्वक गणेश जीके बगल मेंबायीं ओर रखें|

3. श्री नन्दीश्र्वर
एक पुष्प कोश्री नन्दीश्र्वर कास्वरुप मान करस्थान दें|

4. श्री कार्तिकेय
एक पुष्प कोश्री कार्तिकेय कास्वरुप मान करस्थान दें|

श्रीनन्दीश्र्वर एवं श्री कार्तिकेय होतो उत्तम है| श्री शंकर, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय एवंश्री नन्दा कासम्मलित चित्र उपलब्ध रहताहै| पुष्प स्वरुपरखना हो तोगणेश और गौरीके समीप दुसरेपात्र में अक्षतके ऊपर रखें|
5. श्री शंकर जी
प्रमुख देवता श्रीशिव जी केशिवलिंग का चित्र गणेशगौर || नन्दीश्र्वर || कार्तिकेय केपीछे रखें|
6. श्री पार्वतीजी
हल्दी एवं आंटेके सम्मिश्रण सेपानी डाल करघोल तैयार करें| इससे किसीगत्ते पर पार्वती जीका चित्र बनाये| चित्र में आभूषणपहनाने के लिएकील लगायें| जैसेकंठ में मालाके लिए कीललगायी वैसे कंठके दायें बायेंकील लगायें| चरणोंमें पायल पहनानेके लिए दोनोंचरणों के दोनोंओर कांटी लगाये| चरणों में पायलपहनाने के लिएदोनों चरणों केदोनों ओर कांटीलगायें| माँ केचरणों का भक्तिपूर्वक पूजनकरें|

7. करवा
मिट्टी, तांबे, पीतलअथवा चांदी के करवा | करवाना हो तो लोटा| करवामें रक्षा सूत्रबांधें|लेपन सेस्वास्तिक बनायें| दोनों करवोंमें कंठ तकजल भरें| याएक करवा मेंदुग्ध अथवा जलभरें| एक करवामें मेवा जोसास को दियाजाता है\ दुग्धअथवा जल मेंभरे करवे मेंताबें या चांदीका सिक्का डालें|

8. पूजन सामग्री
धुप, दीप, कपूर, रोली, चन्दन, सिंदूर, काजलइत्यादी पूजन समग्री थालीमें दाहिनी ओररखें| दीपक मेंघी इतना होकि सम्पूर्ण पूजनतक दीपक प्रज्वालित रहे|

9. नैवेध


नवैध में पूर्णफल, सुखा मेवाअथवा मिठाई हो| प्रसाद एवं विविधव्यंजन थाली मेंसजा कर रखे| गणेश गौर, नन्दीएवं कार्तिकेय औरश्री शिव जीके लिए नैवेधतीन जगह अलगअलग छोटे पात्रमें रखें|

10. जल के लिए पात्र
आचमन केजल के लिएछोटे पात्र मेंजल भर कररखे| साथ मेंएक चम्मच भीरखें|
हाथ धोनेका पानी इसरिक्त पात्र मेंरखें|
विनियोग केपानी के लिएबड़ा पात्र जलभर कर रखें|
11. पुष्प
पुष्प एवं पुष्पमाला काचित्र स्वयं केदाहिनी ओर स्थापित करें|
12. चन्द्रमा
चंद्रदेव या चन्द्रमा काचित्र स्वयं केदाहिनी ओर स्थापित करें| सब तैयारी होजाने पर कथासुने और फिरचन्द्रमा के निकलते हीश्री चंद्रदेव कोअर्ग देकर भोजनग्रहण करें|



Karwa Chauth Vrat Katha and puja vidhi 2019-करवा चौथ व्रत कथा

करवा चौथ एक ऐसा त्योहार है जिसे महिलाओं केद्वारा पति केकल्याण के लिए रखा जाता है, जिसे स्त्रियाँ कथाके रूप मेंव्रत के दिनसुनती है| वैसेतो करवा चौथकी कई कहानियां हैपरन्तु सबका मूलएक ही है| कहा जाता हैकी करवा चौथके दिन व्रतकथा का पढ़ाजाना काफी महत्वरखता है| यहप्रथा सदियों सेचली रहीहै और सभीवैवाहित महिलाएं इसका पूर्ण रूपसे पालन करतीहै|

कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्थी कोकरवा चौथ कहतेहै| इसमें गणेशजी का पूजनकरके उन्हें पूजनदान से प्रसन्न कियाजाता है, इसकाविधान चैत्र कीचतुर्थी में लिख दियाहै| परन्तु विशेषता यहहै की इसमेंगेहूँ का करवाभर के पूजनकिया जाता हैऔर विवाहित लड़कियों केयहाँ चीनी केकरवे पीहर सेभेजे जाते है| तथा इसमें निम्नलिखित कहानीसुनकर चन्द्रोद्र्थ मेंअर्ध्य देकर व्रतखोला जाता है|

कथा- एक साहूकार केसात लड़के औरएक लड़की थी| सेठानी के सहितउसकी बहुओं औरबेटी ने करवाचौथ का व्रतरखा था| रात्रिको साहुकार केलड़के भोजन करनेलगे तो उन्होंने अपनीबहिन से भोजनके लिए कहा| इस पर बहिनने जवाब दिया- भाई! अभी चाँदनहीं निकला है, उसके निकलने परअर्ग देकर भोजनकरुँगी| बहिन कीबात सुनकर भाइयोंने क्या कामकिया कि नगरसे बाहर जाकर अग्नि जलादी और छलनीले जाकर उसमेंसे प्रकाश दिखातेहुए उन्होनें बहिनसे कहा-बहिन! चाँद निकल आयाहै अर्ग देकरभोजन कर लो| यह सुनकर उसनेअपने भाभियों सेकहा कि आओतुम भी चन्द्रमा कोअर्ग दे लो, परन्तु वे इसकाण्ड को जानतीथी, उन्होंने कहाबाई जी! अभीचाँद नहीं निकलाहै, तेरे भाईतेरे से धोकाकरते हुए अग्निका प्रकाश छलनीसे दिखा रहेहै| भाभियों कीबात सुनकर भीउसने कुछ ध्यानना दिया एवंभाइयों द्वारा दिखाएगए प्रकाश कोही अर्ग देकरभोजन कर लिया| इस प्रकाश व्रतभंग करने सेगणेश जी उसपर अप्रस्सन होगए| इसके बादउसका पति सख्तबीमार हो गयाऔर जो कुछघर में थाउसकी बीमारी मेंलग गया| जबउसने अपने कियेहुए दोषों कापता लगा तोउसने पश्चाताप कियागणेश जी कीप्राथना करते हुए विधिविधान से पुनःचतुर्थी का व्रत करनाआरम्भ कर दिया| श्रधानुसार सबका आदर करतेहुए सबसे आशीर्वाद ग्रहणकरने में हीमन को लगादिया| इस प्रकाशउसके श्रद्धा भक्तिसहित कर्म कोदेखकर भगवान गणेशउस पर प्रसन्न होगये और उसकेपति को जीवनदान दे करउसे आरोग्य करनेके पश्चात धन-सम्पति से युक्तकर दिया| इसप्रकाश जो कोईछल-कपट कोत्याग कर श्रधा-भक्ति से चतुर्थी काव्रत करेंगे वेसब प्रकार सेसुखी होते हुए| 

गणेश जी विनायक जी की कहानी

एकअन्धी बुढिया थीजिसका एक लड़काऔर लड़के कीबहु थी| वोबहुत गरीब था| वह अन्धी बुढियानित्यप्रति गणेश जी कीपूजा किया करतीथी| गणेश जीसाक्षात् सन्मुख आकर कहतेथे कि बुढियाभाई तू जोचाहे सो मांगले| बुढिया कहतीहै, मुझे मांगनानहीं आता तोकैसे और क्यामांगू| तब गणेशजी बोले किअपने बहु बेटेसे पूछकर मांगले| तब बुढियाने अपने पुत्रऔर वधु सेपूछा तो बेटाबोला कि धनमांग ले औरबहु ने कहाँकी पोता मांगलें| तब बुढियाने सोचा किबेटा यह तोअपने-अपने मतलबकी बातें कररहे है| अतःइस बुढिया नेपड़ोसियों से पूछा तो, पड़ोसियों ने कहा कि बुढिया तेरी थोड़ीसी जिंदगी है| क्यूँ मांगे धनऔर पोता, तूतो केवल अपनेनेत्र मांग लेजिससे तेरी शेषजिंदगी सुख सेव्यतीत हो जाए| उस बुढिया नेबेटे और बहुतथा पडौसियों कीबातें सुनकर घरमें जाकर सोचा, जिसमे बेटा बहुऔर मेरा सबकाही भला होवह भी मांगलूँ और अपनेमतलब की चीज़भी मांग लूँ| जब दुसरे दिनश्री गणेश जीआये और बोले, बोल बुढिया क्यामांगती है| हमारावचन है जोतू मांगेगी सोही पायेगी| गणेशजी के वचनसुनकर बुढिया बोली, हे गणराज! यदिआप मुझ परप्रसन्न हैं तो मुझेनौ करोड़ कीमाया दें, निरोगीकाया दें, अमरसुहाग दें, आँखोंमें प्रकाश दें, नाती पोते दें, और समस्त परिवारको सुख दें, और अंत मेंमोक्ष दें| बुढियाकी बात सुनकरगणेश जी बोलेबुढिया माँ तूनेतो मुझे ठगलिया| खैर जोकुछ तूने मांगलिया वह सभीतुझे मिलेगा| यूँकहकर गणेश जीअंतर्ध्यान हो गये| हेगणेश जी! जैसेबुढिया माँ कोमांगे अनुसार आपनेसब कुछ दियावैसे ही सबकोदेना| और हमकोभी देने कीकृपा करना|

करवा चौथ का उजमन

उजमनकरने के लिएएक थाली मेंतेरह जगह से पूड़ीऔर थोड़ा सासीरा रख लें, उसके ऊपर एकसाड़ी ब्लाउज औररूपए जितना चाहेरख लें| उसथाली के चारोंओर रोली औरचावल से हाथफेर कर अपनीसासू जी केपांव लगकर उन्हेंदे देवें| उसकेबाद तेरह ब्राह्मणों कोभोजन करावें औरदक्षिणा दे कर तथाविन्दी लगाकर उन्हेंविदा करें|
Karwa Chauth Vrat Katha and puja vidhi 2019

करवा चौथ पर थाली घूमने की प्रथा और बोल इस प्रकार है:  
करवा चौथ का त्यौहार पुरे भारत में धूम धाम से मनाया जाता है इस में प्रसिद्ध तौर पर पंजाबी औरतें अपनी अपनी थाली 7 बार घूमती है और गाना गाती है: 
"वीरो कुड़िये करवाड़ा ,
सर्व सुहागन करवाड़ा, 
आ कटती न अटेरी ना, 
कुम्भ चरखरा फेरी ना, 
सुई छे धागा पाईं ना, 
रूठड़ा मैएँ ना, 
सुथड़ा जगायीं ना, 
बहेंन प्यारी वीरा, 
चंद चढ़े ते पानी पीना,
वे वीरो कुरियो करवारा,
वे सर्व सुहागन करवारा ---7 बार 

करवा चौथ की पूजा सामग्री 
इस व्रत को रखने के साथ कई प्रकार के पूजन सामग्री, खाद्य पदार्थ और साज-सजावट की आव्यश्यकता होती है| 
करवा चौथ की खाद्य सामग्री
वैसे तो हर एक घर में करवा चौथ के लिए अलग-अलग पकवान बनाए जाते है परन्तु कुछ पकवान जैसे खीर, कचौड़ी, आलू-दम और हलवा के सेवन करना अनिवार्य समझा जाता है|
करवा चौथ श्रृंगार सामग्री
Karwa Chauth Vrat Katha and puja vidhi 2019Karwa Chauth Vrat Katha and puja vidhi 2019

  • मेहंदी
  • आलता
  • कंगन और चूड़िया
  • बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, लिपस्टिक, और काजल
  • मंगलसूत्र, माँग टिका, गले का हार, कान के कुण्डल, हाथों और पैरों की अंगूठी
करवा चौथ के आव्यश्यक वस्त्र
मूल रूप से इस दिन सास के द्वारा दिए गए कपड़ो को धारण करना चाहिए| इस दिन सभी महिलाएँ पारंपरिक वस्त्र जैसे साड़ी, सलवार-सूट और लहंगा चोली पहन कर पूजा करती है|
करवा चौथ की पूजन सामग्री सम्पूर्ण सामग्री को पर्व के एक दिन पूर्व ही एकत्रित कर ले|
  • चंदन
  • शहद
  • अगरबत्ती
  • पुष्प
  • कच्चा दूध
  • शक्कर
  • शुद्ध घी
  • दही
  • मिठाई
  • गंगाजल
  • कुंकू
  • अक्षत (चावल)
  • कपूर
  • गेहूं
  • शक्कर का बूरा
  • हल्दी
  • पानी का लोटा
  • गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी
  • लकड़ी का आसन
  • चलनी
  • आठ पूरियों की अठावरी
  • हलुआ
  • दक्षिणा (दान) के लिए पैसे, इत्यादि।

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